सर्दियों में रोजाना 50 ग्राम चना खाना शरीर के
लिए बहुत लाभकारी होता है। आयुर्वेद मे माना गया है कि चना और चने की दाल
दोनों के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है। चना खाने से अनेक रोगों की चिकित्सा
हो जाती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम,
आयरन व विटामिन्स पाए जाते हैं। चने का गरीबों का बादाम कहा जाता है,
क्योंकि ये सस्ता होता है लेकिन इसी सस्ती
चीज में बड़ी से बड़ी बीमारियों की लड़ने की क्षमता है। चने के सेवन से
सुंदरता बढ़ती है साथ ही दिमाग भी तेज हो जाता है। मोटापा घटाने के लिए
रोजाना नाश्ते में चना लें। अंकुरित चना 3 साल तक खाते रहने से कुष्ट रोग
में लाभ होता है। गर्भवती को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू पिलाएं।
चना पाचन शक्ति को संतुलित और दिमागी शक्ति को भी बढ़ाता है। चने से खून
साफ होता है जिससे त्वचा निखरती है।
सर्दियों में चने के आटे का
हलवा कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। यह हलवा वात से होने
वाले रोगों में व अस्थमा में फायदेमंद होता है।
रात को चने की दाल
भिगों दें सुबह पीसकर चीनी व पानी मिलाकर पीएं। इससे मानसिक तनाव व उन्माद
की स्थिति में राहत मिलती है। 50 ग्राम चने उबालकर मसल लें। यह जल
गर्म-गर्म लगभग एक महीने तक सेवन करने से जलोदर रोग दूर हो जाता है।
चने के आटे की की नमक रहित रोटी 40 से 60 दिनों तक खाने से त्वचा संबंधित
बीमारियां जैसे-दाद, खाज, खुजली आदि नहीं होती हैं। भुने हुए चने रात में
सोते समय चबाकर गर्म दूध पीने से सांस नली के अनेक रोग व कफ दूर हो जाता
हैं।
25 ग्राम काले चने रात में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने
से डायबिटीज दूर हो जाती है। यदि समान मात्रा में जौ चने की रोटी भी दोनों
समय खाई जाए तो जल्दी फायदा होगा।
चने को पानी में भिगो दें उसके बाद
चना निकालकर पानी को पी जाएं। शहद मिलाकर पीने से किन्हीं भी कारणों से
उत्पन्न नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
हिचकी की समस्या ज्यादा
परेशान कर रही हो तो चने के पौधे के सूखे पत्तों का धुम्रपान करने से शीत
के कारण आने वाली हिचकी तथा आमाशय की बीमारियों में लाभ होता है।
पीलिया में चने की दाल लगभग 100 ग्राम को दो गिलास जल में भिगोकर उसके बाद
दाल पानी में से निकलाकर 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4-5 दिन तक खाएं राहत
मिलेगी।
देसी काले चने 25-30 ग्राम लेकर उनमें 10 ग्राम त्रिफला
चूर्ण मिला लें चने को कुछ घंटों के लिए भिगो दें। उसके बाद चने को किसी
कपड़े में बांध कर अंकुरित कर लें। सुबह नाश्ते के रूप में इन्हे खूब चबा
चबाकर खाएं।
बुखार में ज्यादा पसीना आए तो भूने को पीसकर अजवायन और वच का चूर्ण मिलाकर मालिश करनी चाहिए।
चीनी के बर्तन में रात को चने भिगोकर रख दे। सुबह उठकर खूब चबा-चबाकर खाएं
इसके लगातार सेवन करने से वीर्य में बढ़ोतरी होती है व पुरुषों की कमजोरी
से जुड़ी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। भीगे हुए चने खाकर दूध पीते रहने से
वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है।
दस ग्राम चने की भीगी दाल और 10 ग्राम शक्कर दोनों मिलाकर 40 दिनों तक खाने से धातु पुष्ट हो जाती है।
गर्म चने रूमाल या किसी साफ कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता
है। बार-बार पेशाब जाने की बीमारी में भुने हूए चनों का सेवन करना चाहिए।
गुड़ व चना खाने से भी मूत्र से संबंधित समस्या में राहत मिलती है। रोजाना
भुने चनों के सेवन से बवासीर ठीक हो जाता है।