अच्छी आवाज हमारे व्यक्तित्व का एक अहम हिस्सा होती है। संचार के इस दौर में अच्छी आवाज सभी के लिए जरूरी है। आवाज को सदा जवां रखने के लिए उसकी देखभाल करना बहुत जरूरी है। खासकर व्यावसायिक दृष्टि से अपनी आवाज का इस्तमाल करने वालों को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए।
जो आवाज के प्रोफेशन से जुड़े हुए हैं और जो आवाज को अपना रोजगार बनाने की चाह रखते हैं, वे इन बातों पर अमल करें-
खान-पान
• खान-पान पर नियंत्रण रखें। गलत दिनचर्या एवं खान-पान की वजह से पेट का अम्ल गले में आने (रिप्लक्स) की शिकायत हो सकती है, जो गले के अंदर के स्राव को परिवर्तित करने के साथ स्वर यंत्र की हल्की सूजन का कारण भी हो
सकती है। रिप्लक्स के मरीजों को गले में कुछ अटकना, बार-बार गला साफ करना, लंबी मियाद की खाँसी, जीभ पर जमाव, बार-बार ब्रोंकाइटिस जैसी शिकायतें हो सकती हैं।
• जिन लोगों की आवाज ही व्यवसाय है, उन्हें सादा भोजन करना चाहिए और अधिक मिर्च-मसाले, तेलयुक्त खाना, अधिक चाय, कॉफी, शीतल पेय एवं शराब नहीं पीना चाहिए। साथ ही चॉकलेट, सूखे फल आदि भोजन के पहले नहीं लेना चाहिए।
• पान, पान मसाला, तंबाकू, गुटखा आदि न खाएं।
श्वास
• सामान्य रूप से श्वास लेना अच्छी आवाज के लिए जरूरी होता है, क्योंकि नाक में श्वास छनती है, गरम होती है एवं इसे उपयुक्त नमी मिलती है। नाक बंद रहने या साइनस की तकलीफ होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
• ठंडी एवं गरम हवा दोनों ही नाक एवं गले को प्रभावित करती है, और आवाज ठीक से नहीं निकलती, साथ ही खाँसी की भी शिकायत हो सकती है। इसलिए इससे बचे।
• साथ ही मुंह से श्वास सांस लेना, तेज पंखे के सीधे नीचे या सामने सोना भी ठीक नहीं होता।
• वातानुकूलित वातावरण में रहना अच्छी आवाज के लिए फायदेमंद होता है। ठंडे वातावरण से गरम वातावरण में कुछ समय रुककर जाएँ।
अन्य सावधानियाँ
• धूल एवं धूलयुक्त वातावरण से बचें।
• धूम्रपान न करें।
• तेज सर्दी, एक्यूट एलर्जी, नाक-गले के संक्रमण के दौरान गायन कार्यक्रम न दें।
• नाक की एलर्जी से ग्रसित लोग धूल, धुएँ, माइट्स, फफूँद आदि एलर्जन्स से बचने की कोशिश करें।
• अधिक मेकअप, बालों के या अन्य प्रकार के स्प्रे बहुत साधवानी से एवं कम उपयोग करें।
• शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही तनाव आवाज को दुष्प्रभावित करते हैं। इसलिए पूरी नींद एवं आराम जरूर करें।
• गायन, भजन, भाषन या बातचीत के दौरान गला न सूखने दें। बीच-बीच में पानी के घूंट पिएँ। हल्का, गुनगुना, शहदयुक्त पानी कार्यक्रम के दौरान निरंतर पीते रहें।
• लगातार 45 मिनट से ज्यादा ना बोले।
• गायकों या व्यावसायिक आवाज प्रयोग करने वालों को भी भीड़ भरी, शोरगुल वाली पार्टियों से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसी जगहों पर जोर-जोर से बात करनी पड़ती है, जिससे स्वर यंत्र पर तनाव आता है।
• बार-बार गला साफ करने की आदत न डालें, उपयुक्त इलाज करवाएं।
• जोर-जोर से बोलने, चीखने-चिल्लाने एवं तनावपूर्ण ढंग से आवाज निकालने से बचें।
•साथ ही प्रतिदिन परम पूज्य स्वामी जी महाराज द्वारा सिखाए गए सभी प्राणायाम करें लाभ होगा |