बुढापे में शरीर में वात तत्व प्रधान हो जाता है
.शरीर में वात का स्थान है घुटने से नीचे के पैर . इन्हें दबाने से , उनमे
तेल मलने से कुपित वात निकल जाता है और वात रोगों में आराम मिलता है . जब
हम पैरों को बहुत उपयोग में लाते है ; यानी के बहुत भाग दौड़ हो जाने से भी
वात बहुत बढ़ जाता है . तब पैरों को दबाने से और तेल मालिश से बहुत आराम
मिलता है . वज्रासन में भी घुटने से नीचे के पैरों पर दबाव पड़ता है और अधिक
वात का निष्कासन होता है . कई बार अत्याधिक गर्मी से और मौसम परिवर्तन से
भी शरीर में वात बढ़ जाता है . तब कई बार शरीर में सूजन महसूस होती है या
अचानक से वजन बढ़ जाता है या अन्य वात रोग हमें घेर लेते है तब पैरों को
दबाने से और तेल लगाने से लाभ मिलता है .